Critical thinking का मतलब है, आपके अंदर ability है स्पष्ट रुप से सोचने की, और आप rationally इस conclusion पर आ सकते हो, कि आपको क्या करना चाहिए, और किन बातों में विश्वास करना चाहिए, ईस तरह की thinking आपको हर चीजों के बारे में गहराई से सोचनें के काबिल बनाती है, जिससे आप टीवी, न्यूज़ चैनल, सोशल मीडिया, परिवार, टीचर या अपने culture से सत्य को उधार नही लेते हो, बल्कि आप खुद ही हर information को logically analyse करते हो, और truth को derive करते हो, दुसरी तरफ जो लोग critically नही सोच पाते हैं, वो लोग अपनी भावनाओं या psychological conditioning के आधार पर प्रतिक्रिया करते हैं, ऐसे लोग बिल्कुल भी सहिष्णु नही होते, और जब भी उनके आगे कोई ऐसी argument या fact रखा जाता है, जो उनकी conditioning के विरुद्ध जाता है, तब ये लोग "ठोस प्रतिवाद" देने के बजाए आपको चिढ़ाते हैं, या फिर गुस्से और sarcasm का सहारा लेते है, आपकी प्रतिष्ठा खराब करने के लिए, आपको नीचा दिखाने के लिए, ताकि अगर आपकी बात सही भी हो तब भी दुसरे लोग गलत मान लें।
अगर आप भी हमेशा ध्यान देकर दुसरो की argument को analyse करते हो, तो ये चीज आपके लिए बहुत ही Relativel होगी, क्योंकि आजकल ज्यादातर लोग अपने thinking को outsource करते है, और बिना कुछ सोचे समझे ये घोषित कर देते हैं, कि उनका सच ही असली सच है और बाकी सब बकवास है। खैर अच्छी बात यह है कि लगभग हर इंसान ही critical thinker (महत्वपूर्ण विचारक) बन सकता है, बिना कोई किताब पढ़ें, या बिना किसी शिक्षक के, बस कुछ आदतों के अभ्यास से, तो इस लेख में हम ऐसे छः तरीको के बारे मे बात करेंगे, जिन्हें practice करने पर आप अपनी critical thinking skills और debating skills को काफी आसानी से विकसित कर पाएंगे।
1. अपनी argument पक्की करने से पहले दुसरे की argument को पक्का बनाओ।
ये इसलिए क्योंकि अगर आप सच तक पहुंचना चाहते हो, तो जब भी आप कुछ पढ़ते हो, सुनते हो, या फिर किसी से debate करते हो, तो पहले आप उनकी भी information को ढंग से समझो, क्योंकि अगर आपको यही समझ नहीं आया है, कि सामने वाला बोलना क्या चाह रहा है, और आप बिना कुछ सोचे समझे एकदम से रिएक्ट कर देते हो, तो आप उसी समय वो argument हार जाते हो, और उपर से आपको यह भी समझ नहीं आता, कि आपकी खुद की argument असली मे सही थी, या फिर नही।
ये एक genuine conversation और critical thinking का काफी जरूरी हिस्सा है, क्योंकि किसी भी नई information को explore करने के लिए आपको अपना मुंह बंद करना होता है, ताकि आप बस वही बातें न दुहराते रहो जो आपको पहले से पता है, और ताकि आप एक अच्छे listeners की तरह दुसरी Argument पर attention pay कर सको, यहा तक की जब आप अकेले मे कुछ सोच रहे होते हो, तब भी आप यही कर रहे होते हो, आप अपने अलग-अलग thoughts को एक दुसरे से complete करने देते हो, और देखते हो कि किस विचार मे ज्यादा वजन है, however इस मामले मे ज्यादातर लोग यह गलती करते हैं, कि just because वो अपनी thinking को बदलना नहीं चाहते हैं, इसलिए वो हमेशा अपने दिमाग मे अपने प्रतिद्वंद्वी का एक काफी weak version develop कर लेते हैं, ताकि वो उसे सरलता से हरा सके, और अपने argument को rationalise कर सके। लेकिन यहां पर आप कुछ गहरा सोच नहीं रहे होते हो, आप बस अपने conclusion को इस्तेमाल कर रहे होते हो, अपने fact को justify करने के लिए, जबकि असल में आपको अपने fact को इस्तेमाल करना चाहिए, अपने conclusions को justify करने के लिए, इसलिए आप कभी भी conclusion पर आने की जल्दी मत मचाओ, और पहले ये पक्का करो, कि जो information आपको मिलीं है, आप उसे ढंग से समझ चुके हैं।
2. दुसरे viewpoint को explore करों।
यानी जब आप एक argument के "what" को समझ लेते हो, तब उसके पीछे के "why" को ढुंढो, जैसे अगर आप राजनीति मे रूचि लेते हो, तो अपने-आप से पुछो, कि क्यों इतने ज्यादा लोग एक party और उनकी policies को इतना support करते हैं, जबकि आपके हिसाब से तो दुसरी पार्टी अच्छी है, यहां तक कि अगर आप एक पार्टी की हर बात से असहमत भी हो, तब भी उनके सारे view point को explore करने की ये mental exercise आपको ये समझने मे मदद करेगी, कि जो आईडिया और policies आपको बेकार लगती है, वो दुसरे लोगो को क्यों लुभातें है। इस तरह की understanding आपको open minded बनाएगी, और ज्यादा inform decision लेने मे मदद करेगी।
3. सही सवाल करों।
जैसे काफी सारे सवालों का एक मुख्य विषय यह भी है, कि क्या कोई खुदा है या नही है? और अगर कोई इंसान आपसे पुछता है, कि क्या आप भी खुदा मे विश्वास करतें हो? तो आप उन्हें सीधा-सीधा अपना जबाव देने के बजाए, ये assume मत करो कि आपके खुदा की परिभाषा और उस इंसान की खुदा की परिभाषा एक होंगे, इसके साथ ही आपको यह भी नहीं पता होगा, कि वो इंसान ये सवाल किस contest में पुछ रहा है, क्या वों आपकी metaphysical reality की understanding को जानना चाहता है? या क्या वो ईस सवाल की मदद से वो ये निष्कर्ष निकालना चाहता हैं, कि आप कितने समझदार हो? या ना समझ?। हर contest मे आपका जबाव अलग होगा, तो कुछ भी जबाव देने और निष्कर्ष निकालने से पहले, उस information को सवाल करना शुरू करों, और साथ ही साथ अपने-आप से भी सवाल करो, कि आपको पहले से क्या पता है? और आपको ये कैसे पता है? आप क्या साबित करना या असत्य साबित करना चाहते हो, क्योंकि सही सवाल ही आपको सही जबाव दे सकते हैं।
4. अपनी thinking मे errors (त्रुटियों) को ढुंढना सीखों।
ये इसलिए, क्योंकि जिस गति से हमारे दिमाग मे automatically thoughts आते हैं वो बहुत तेज है, और ईस गति को प्राप्त करने के लिए, और अपने वातावरण को जल्दी से समझने के लिए, कई बार हमारा दिमाग naturally shortcuts को यूज करता है, ये इसलिए होता है क्योंकि ज्यादातर लोगों को कभी भी स्कूल या कॉलेज मे logical thinking (तार्किक सोच) सीखाई ही नही होती, इसी वज़ह से ज्यादातर लोगों मे common sense (व्यवहारिक बुद्धि) की कमी होती है। पर सबसे common thinking error (सामान्य सोच त्रुटि) की यह knowledge, आपको इन गलतियों से बचा सकती है।
जैसे एक thinking error है, "over generalization" यानी यह मान लेना की एक fact हर चीजों पर apply होगा, जबकि reality मे ज्यादातर ऐसा नहीं होता। दुसरा common thinking error है, "appeal to authority" यानी जब भी आप किसी से कोई argument कर रहे होते हो, तब वो अपनी बात साबित करने के लिए, किसी authority की तरफ इशारा कर देता है, कि उसने ये बोला था, तो ईसका मतलब ये सच होगा। पर जाहिर है ये तरीका अपने-आप मे किसी चीज को साबित करने के लिए काफी नही है, और तीसरा common thinking error है, "cognitive dissonance" जो तब आता है जब एक इंसान same time पर दो या दो से अधिक contradictory believe ( विरोधाभासी विश्वास) रखता है, जैसे अगर आप बोलते कुछ और हो, और करते कुछ और, लेकिन आपको ये लगता है, कि आप वही करते हो जो आप बोलते हो, तो ईसका मतलब है आपके thinking मे भी error आता है। और जब तक आप अपने ऐसे errors को attention देकर दूर नही करोगे, तब तक आप critically सोच नही पाओगे।
5. लिखना सीखों
लेकिन कोई भी random चीज नही बल्कि किसी ऐसी चीज के बारे में लिखों, जो आपकों सोचने पर मजबूर करें, क्योंकि जब भी आप कुछ लिखते हो तब आप अपनी विचारों को व्यवस्थित करना सीखते हो, ताकि आप अपनी बातों को एक well articulated form में express कर पाओ, आप कई अलग चीजों के बारे मे लिख सकते हो, जैसे कोई भी प्रोब्लम जिस पर आपका कोई strong opinions है, जब आप लिखना शुरू करोगे तब आपको समझ आएगा, कि जितने भी आईडिया आपके दिमाग मे फैले हुए हैं, उन्हें एक जगह summariese कैसे करना है, आपके दिमाग में इस particular topic को लेकर जो contradiction है, उन्हें कैसे दूर करना है, कौन से शब्द चुनना है, और अपने sentances को किस रतह organise करना है, ताकि आपका arguments orderly और logical लगें, आप जितना लिखोगे उतना ही आप अपनी critical thinking abilities को तेज़ बनाते जाओगे।
6. चीजों को reverse करके analyse करो।
इस तरीके का काफी अच्छा example है, मुर्गी और अंडे का प्रोब्लम कि पहले कौन आया "मुर्गी या अंडा"। शुरू मे हमें ये जाहिर सा लगता है, कि अंडा देने के लिए मुर्गी को ही पहले आना पड़ेगा, पर आपको ये समझने मे ज्यादा समय नही लगता, कि बिना अंडे के मुर्गी को भी तो कही से आना होगा, तो just because मुर्गियां अंडे से आती हैं, तो शायद अंडा ही पहले आया होगा, सही। तो जब भी आप किसी से कोई बात करते हो, या कुछ पढ़ते करते हो, तो अपने दिमाग में खुद ही उस information को, हर angle से देखने की कोशिश करों।
जैसे अगर हम पहले वाले example को दुबारा से यूज करें, तो अगर आप कही से सुनते हो, कि हमें खुदा ने बनाया है, तो यहा पर एक critical thinker ना तो सीधा-सीधा हा बोलेगा, और ना ही सीधा ये बोलेगा कि आप ये विश्वास करने के लिए एकदम नादान हो, बल्कि वो इस statement के हर subject को reverse करके सोचेगा, कि सच में खुदा ने इंसानों को बनाया है, या इंसानों ने खुदा को बनाया, ये तरीका उन परिस्थितियों मे बहुत ही उपयोगी साबित होता है, जब आप किसी एक प्रोब्लम मे फंसे हुए होते हैं, और आपको आगे बढ़ने का कोई रास्ता नही मिल रहा होता।