पवित्र माह रमज़ान के बारे में वो सभी बातें जो आपको जानना चाहिए।
ज्यादातर लोग इस माह को मुस्लिमों द्वारा रखें जाने वाले उपवास (रोज़े) और त्यौहार ईद, के लिए जानते है, आज मै आपको इस माह की कुछ विशेषताएं, मान्यताएं, और वो बातें जो शायद आप जानना चाहते हो बताने की कोशिश करूंगा उम्मीद है आपको पसंद आएगा।
इस माह की कुछ विशेषताएं हैं।
- महिने भर रोज़े रखना
- रात को तरावीह की नमाज़, अर्थात विशेष प्रार्थना करना
- कुरान शरीफ की तिलावत (पारायण) करना
- एतेकाफ मे बैठना, (गांव लोंगो की अभ्युन्नती व कल्याण के लिए मस्जिदों में विशेष व्यक्ति कि नियुक्त करना)
- फितरा,जकात, सदका देना, दान धर्म करना
- सामुहिक इफ़्तार, सामुहिक प्रार्थना करना
- ईद के दिन नए परिधान पहनना
- माह के बाद 1 शव्वाल को नमाज-ए-इदुल फितर अदा करना
- मुबारकबाद पेश करना, सभी के साथ मुहब्बत से लगे मिलना
- शान्ति, उन्नति, प्रगति, विकास के लिए एक दुसरे को दुआएं देना
मान्यताएं विश्वास इस प्रकार है
- पुरे माह रोजे (उपवास) रखना फर्ज यानी अनिवार्य है
- इस माह मे तीन अशरा (दहाई,या Stage) होते हैं जिनका अलग-अलग महत्व होता है
- इस पवित्र माह मे कुरान शरीफ का अवतरण हुआ
- इस माह के आख़री अशरे में पाच मुबारक रातों को 21,23,25,27,29वी रात को सबे कद्र या लैलतूल कद्र कहा जाता है, जो प्रार्थना,ईनाम,क्षमा,मोक्ष, मगफिरत, दुआओं की रात कही जाती है
- इस माह मे जकात,फित्रा,सदका, खैरो खैरात दान देना किसी दुसरे माह से ज्यादा अच्छा माना जाता है,पुन्य भी ज्यादा मिलते हैं
माहे रमज़ान और ईद के संदर्भ में
- उपवास को अरबी मे 'सौम' कहते हैं जिसका अर्थ रुकना होता है, उपवास को फारसी में रोजा कहते है, भारत में मुस्लिम समुदाय पर फारसी प्रभाव ज्यादा होने के कारण उपवास को 'रोजा' कहा जाता है
- रमज़ान इस्लामी साल का नौवां महीना होता है
- रोजे का समय सुर्योदय से पहले की अजान (पुकार) और सुर्यास्तमय के बाद का अजान (पुकार) तक होता है
- ईद खुशियों, हर्षोल्लास,का त्यौंहार होता है
- रमज़ान महिने के आखिरी जुमे को जुम-तुल विदा कहते हैं
Credit: muslim pro